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Back’’लघु रोमन्थी पशुपालकों की वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ एवं संभावनाऐं’’ विषय पर संस्थान के उपकेन्द्र उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केन्द्र, गढ़सा (कुल्लू), हिमाचल प्रदेश में कार्यशाला का आयोजन एवं किसानों का शैक्षणिक भ्रमण



 केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर द्वारा अटारी, लुधियाना, जोन-प् के परस्पर सहयोग से लघु रोमन्थी पशुपालकों की वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ एवं संभावनाऐं विषय पर संस्थान के उपकेन्द्र उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केन्द्र, गढ़सा (कुल्लू), हिमाचल प्रदेश में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन दिनांक 09.10.2022 को किया गया। कार्यशाला में भाग लेने हेतु संस्थान द्वारा अनुसूचित जाति उपयोजना, अनुसूचित जनजाति उपयोजना, मेगा शीप सीड परियोजना, फार्मर फर्स्ट परियोजना से जुड़े हुये 60 किसानों को शैक्षणिक भ्रमण दिनांक 05.10.2022 से 11.10.2022 तक करवाया गया। किसानों को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार, गुरू अंगददेव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना, भारतीय गैहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान उपकेन्द्र कटराईन, कृषि विज्ञान केन्द्र बजौरा में कृषि एवं पशुपालन सम्बन्धित विकसित तकनीकियों को दिखाया गया साथ ही संस्थान द्वारा अंगीकृत ग्राम सीसू, मनाली के किसानों के साथ संवाद कार्यक्रम भी करवाया गया। संस्थान के उपकेन्द्र उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केन्द्र, गढ़सा (कुल्लू), हिमाचल प्रदेश में आयोजित कार्यशाला में भागीदारी करवाई जिसमें राजस्थान एवं हिमाचल प्रदेश के लगभग 200 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. इंद्रजीत सिंह, कुलपति, गुरू अंगददेव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रवीण कुमार, पशुपालन आयुक्त, नई दिल्ली, डॉ. राजबीर सिंह, निदेशक, अटारी जोन-प्, लुधियाना एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री सुरेश चन्देल, पूर्व सांसद एवं सदस्य भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, शासकीय निकाय उपस्थित हुए। कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों ने किसानों को सम्बोधित करते हुए वर्तमान समय में लघु रोमन्थी पशुओं जैसे भेड़, बकरी एवं खरगोश पालन की महत्ता से सम्बन्धित जानकारी दी। संस्थान के निदेशक डॉ. अरूण कुमार तोमर ने कार्यशाला में पधारने हेतु सभी अतिथियों एवं किसानों का आभार व्यक्त किया एवं कार्यशाला के समन्वयक एवं अध्यक्ष, उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केन्द्र, गढ़सा (कुल्लू) डॉ. ओम हरी चतुर्वेदी का भी उक्त कार्यशाला के आयोजन हेतु आभार व्यक्त किया साथ ही उन्होंने किसानों को सम्बोधित करते हुए संस्थान द्वारा विकसित नवीनतम तकनिकियों के बारे में अवगत करवाया साथ ही जोन-प् के अन्तर्गत आने वाले कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुखों एवं विषय विशेषज्ञों से आह्वान किया वे अपने से जुड़े हुये किसानों को भेड़, बकरी एवं खरगोश पालन सम्बन्धित विकसित तकनीकियों को प्रसार के माध्यम से किसानों तक पहुंचाकर उनकी आजीविका को सुदृढ़ करने में अहम योगदान दें। कार्यक्रम में किसानों से संवाद के माध्यम से कृषि एवं पशुपालन से सम्बन्धित समस्याओं पर विचार विमर्श कर उनका समाधान बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. एल.आर. गुर्जर, वरिष्ठ वैज्ञानिक, केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर द्वारा किया गया।



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