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Backअविकानगर में पूरे भारत के विभिन्न प्रान्तों से आये किसानों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ



संस्थान द्वारा दिनांक 12 मार्च, 2019 को ’’राष्ट्रीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम’’ के अन्तर्गत वैज्ञानिक पद्धति से भेड़-बकरी एवं खरगोश पालन विषय पर 8 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान की अनुसंधान सलाहकार समिति के अध्यक्ष डाॅ. प्रभाकर राव द्वारा किया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डाॅ. साहोता, सदस्य, अनुसंधान सलाहकार समिति थे। संस्थान द्वारा इस तरह का यह पहला प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जिसमें समस्त भारत से इच्छुक किसान प्रशिक्षण लेने के लिये आये हैं। इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले 15 किसान हैं जो आन्ध्रप्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, छत्तिसगढ़, तैलंगाना, हरियाणा, गुजरात एवं राजस्थान प्रान्तों से आये हैं। संस्थान के निदेशक डाॅ. अरूण कुमार ने उद्घाटन समारोह में बताया कि अब तक संस्थान के सभी प्रशिक्षण कार्यक्रम अन्य ऐजेन्सियों द्वारा प्रायोजित होते थे एवं किसान उसमें केवल भाग लेते थे। परन्तु यह कार्यक्रम इस तरह का है जिसमें भाग लेने वाले किसान स्वेच्छा से प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुल्क जमा करवाकर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। निदेशक महोदय ने आगे बताया कि इस तरह के दो प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्षभर में आयोजित करने की संस्थान की योजना है। उन्होंने कहा कि इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में किसानों को भेड़-बकरी एवं खरगोश पालन पर नवीनतम जानकारी उपलब्ध करवायी जायेगी एवं किसान भी संस्थान के विभिन्न सेक्टरों पर प्रायोगिकी के माध्यम से भेड़-बकरी खरगोश पालन की विभिन्न गतिविधियों को स्वयं करके देखेंगे। इस तरह यह संस्थान का भेड़-बकरी एवं खरगोश पालकों को पशुपालन सिखाने की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम किसानों को स्वरोजगार प्रदान करने के साथ-साथ भेड़-बकरी एवं खरगोश पालन से उनकी आमदनी दोगुनी करने में मदद करेगा। इसके अलावा निदेशक महोदय ने स्थान द्वारा विकसित तकनीकों एवं संस्थान के अनुसंधान कार्यों के बारे में भी सभी को बताया। संस्थान सलाहकार समिति के अध्यक्ष डाॅ. प्रभाकर राव ने बताया कि ये किसान जो आज प्रशिक्षण लेने आये है वे संस्थान के लिये प्रसारक का कार्य करेंगे एवं जो भी नया सीखकर जायेंगे उन्हें अन्य किसानों को भी बतायेंगे जिससे कि उनके आसपास के किसान भी भेड़-बकरी एवं खरगोश पालन को वैज्ञानिक तरीके से कर सकें। डाॅ. साहोता ने बताया कि किसान भाई, चाहे गाय-भैंस पाले या भेड़ बकरी पाले, उनमें सबसे जरूरी पशु की नस्ल की नस्ल एवं उनका रखरखाव होता है। यदि आप इन दोनो बातों का ध्यान रखते हैं तो आपको पशुपालन से फायदा निश्चित है। संस्थान के मानव संसाधन विकास अनुभाग के प्रभारी एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डाॅ. एस.के. सांख्यान ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के सम्बन्ध में सभी को जानकारी दी। प्रशिक्षण के लिये आये किसानों ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस कार्यक्रम के सह-समन्वयक डाॅ. राजकुमार, डाॅ. गोपाल गोवाने एवं डाॅ. विनोद कदम ने भी प्रशिक्षण कार्यक्रम समारोह में योगदान दिया।



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