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Backभारतीय कृषि अनुसंधान परिषदए नई दिल्ली के स्थापना दिवस 16 जुलाई को किसानों के साथ मनाया गया।



 केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थानए अविकानगर ने श्भारतीय कृषि अनुसंधान परिषदए नई दिल्लीश् के 86 वें स्थापना दिवस 16 जुलाई 2014 के  अवसर पर श्कमजोर मानसून एवं सूखे की स्थिति में किसानों को तकनीकी सलाह एवं सहायताश् विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान  के निदेशक डॉ एस एम के नक़वी ने की व कार्यक्रम का संचालन संस्थान के तकनीकी स्थानांतरण एवं सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ राजीव गुल्यानीए प्रधान वैज्ञानिक ने किया। कार्यक्रम में आस पास के 15.20 गावों के 150 किसानों एवं महिलाओं ने भाग लिया। किसानों को कमजोर मानसून एवं सूखे की  स्थिति में भेड़ एवं  बकरी पालन के प्रत्येक पहलू जैसे कि प्रजनन संबंधी सावधानियाँए पशु चारे एवं पोषण संबंधी व्यवस्थाए पशु स्वास्थ्य संबंधी प्रबंधए  इत्यादि विषयों पर विभिन्न विभागों के अध्यक्षों द्वारा विस्तार से बताया गया। संस्थान के निदेशक डॉ  एस एम के नक़वी ने कहा कि भारत के मौसम विभाग द्वारा अखबारोंए दूरदर्शन एवं अन्य माध्यमों द्वारा इस बार कमजोर मानसून एवं सूखे की आशंका की सूचना जारी की गई हैए इसी बात को ध्यान में रख कर संस्थान 2.3 माह पहले से ही किसानों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य कर रहा है. जिसमें किसानों के रेवड़ एवं प्रक्षेत्र पर वैज्ञानिकों एवं तकनीकी अधिकारियों द्वारा भ्रमणए कम पानी में उगने वाली फसलों की क़िस्मों की सूची जारी कर किसानों तक पहुंचानाए भेड़ एवं बकरी स्वास्थ्य शिविर लगानाए इत्यादि शामिल हैं। इसके अलावा संस्थान यहाँ आने वाले किसानो को भी उपयुक्त सलाह द्वारा शिक्षित कर रहा है। उन्होने अपने वक्तव्य में कहाए श्कमजोर मानसून की स्थिति में गाय भैंस की अपेक्षा भेड़ एवं बकरी को पालना आसान है। राजस्थान की जलवायु भेड़ एवं बकरी के उत्पादन के लिए उतम है। उन्होने कहा कि संस्थान किसानों एवं महिलाओं को वस्त्र एवं अन्य उत्पाद बनाने का त्रैमासिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है ताकि किसान महिलाएं घर बैठे उत्पाद बना कर अपनी आमदनी बढ़ा सकती हैं।श् पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ अरुण तोमर ने बताया कि किसान चारे की अनुपलब्धता में कमजोर भेड़ों से बच्चे न  लेवें। पशु पोषण विभाग के अध्यक्ष डॉ ए साहू ने कहा कि किसान नागफनी एवं ऊंट कटेला को सुखा कर एवं पीस कर भेड़ों एवं बकरियों को कुछ मात्रा में खिला सकते हैं। चारा एवं चरागाह अनुभाग के प्रभारी डॉ एस सी शर्मा ने कहा कि संस्थान ने कम पानी में अच्छा उत्पादन  देने वाली फसलों की क़िस्मों की सूची जारी की है। पशु स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष डॉ धीरेंद्र सिंह ने बताया कि किसान पशुओं को मौसमी बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण जरूर करवाएँ। पशु शरीर क्रिया एवं जीव रसायन विभाग के प्रभारी डॉ देवेंद्र ने कहा कि किसान अच्छे मेंढ़े से ही भेड़ों को गर्भित करें। कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ राजीव गुल्यानी ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषदए नई दिल्ली 99 अनुसंधान संस्थानोंए 53 कृषि विश्वविध्यालयों एवं 637 कृषि विज्ञान केन्द्रों के जरिए किसानों तक पहुँच रही है। उन्होने कहा कि किसान तकनीकी स्थानांतरण एवं सामाजिक विज्ञान विभाग में आ कर अपनी समस्याओं का निदान पा सकते हैं।  डॉ गुल्यानी ने कार्यक्रम में पधारे किसानों एवं इसके आयोजन में योगदान दे रहें संस्थान के वैज्ञानिकोंए तकनीकी अधिकारियों एवं अन्य कर्मचारियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। 



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