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Backआज केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, में 17 से 23 अगस्त को आयोजित हुए "भेड़ों में मदसमकालन एवं कृत्रिम गर्भाधान" कार्यक्रम का समापन हुआ।



इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जम्मू भेड़पालन विभाग के 20  पैरावेटरिनेरियन प्रशिक्षण ले रहे थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह के मुख्य अतिथि एवं संस्थान निदेशक डॉ अरुण कुमार तोमर ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा की मध्य समकालन एवं कृत्रिम गर्भाधान ऐसी तकनीक हैं जिससे नए केवल पशु की प्रजनन क्षमता को बढ़ाया जा सकता है, बल्कि प्रदेश की भेड़ों की नस्लों के अनुवांशिक सुधार में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। डॉ तोमर ने उम्मीद जताई कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं इसी माह में 2 से 8 अगस्त को जम्मू के पशु चिकित्सकों के लिए आयोजित किए गए सात दिवसीय कार्यक्रम का जम्मू प्रदेश के पशुपालकों को सीधा लाभ मिलेगा।
 
 प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक डॉ अजीत सिंह महला ने बताया की भेड़ में कृत्रिम गर्भाधान जैसी तकनीकियां अभी तक बहुत अधिक प्रचलित नहीं हो पाई हैं लेकिन संस्थान इस दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है तथा विभिन्न प्रदेशों के पशुपालन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को इन तकनीकों से दक्ष करने के लिए निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है तथा इन तकनीकों का अधिक से अधिक उपयोग कर भेड़ों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने की दिशा में अग्रसर है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के सह समन्वयक डॉ सत्यवीर सिंह डांगी तथा डॉ एस सी शर्मा थे।
 
 समापन कार्यक्रम का संचालन मानव संसाधन विकास अनुभाग के प्रभारी डॉ एस सी शर्मा ने किया तथा धन्यवाद प्रस्ताव डॉ सत्यवीर सिंह डांगी ने पेश किया। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्रभारी  एवं वैज्ञानिक जिनमे डॉ राघवेंद्र सिंह, डॉ गणेश सोनावाने, डॉ अजय कुमार, डॉ अरविंद सोनी, डॉ विजय कुमार प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
 
 


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