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Backलाइवस्टॉक इंटरप्रानेरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत देश के किसानो का कौशल विकास हेतु केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर एवं केड फाउंडेशन उदयपुर द्वारा 'व्यवसायिक भेड़-बकरी एवं खरगोश पालन' पर सात दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोज



 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थान केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान,अविकानगर तहसील-मालपुरा जिला-टोंक (राजस्थान)  मे केड फाउंडेशन उदयपुर एवं एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर सेंटर के संयुक्त तत्वाधान  मे तृतीय  बैच का सात दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन (21 जून से 27 जून,2023)  की अध्यक्षता डॉ अरुण कुमार तोमर ओर विशिष्ट अतिथि के रूप में निदेशक केड फाउंडेशन उदयपुर श्रीमान मुकेश सुथार एवं पशु स्वास्थ्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ  जी. जी सोनावाने की उपस्थिति में किया गया l अविकानगर संस्थान में 'व्यवसायिक  भेड़-बकरी और खरगोश पालन' प्रशिक्षण कार्यक्रम  के समन्वयक डॉ. विनोद कदम एवं सह -समन्वयक डॉ अमरसिंह मीना एवं डॉ अरविन्द सोनी द्वारा बताया गया कि  प्रशिक्षण कार्यक्रम में 43 प्रशिक्षणार्थी भाग ले रहे हैं, जिनमे ज्यादातर प्रश्न आरती राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए हैं ओर एक-एक प्रशिक्षणार्थी गुजरात, मध्य प्रदेश एवं हरियाणा राज्यों से आया है l

केड फाउंडेशन के निदेशक श्री मुकेश सुथार ने बताया कि संस्थान के एबीआईसी से जुड़ने के बाद संयुक्त तत्वाधान में तृतीय  बैच का  सात दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शुरुआत के 5 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम उदयपुर में संपन्न करवाया गया है l जिसमें  उदयपुर के राज्य सरकार ओर महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय  के पशुपालन विशेषज्ञों  (डॉ विजय माने सीनियर वेटरनरी ऑफिसर, डॉ सुभाष चौधरी वेटरनरी ऑफिसर, डॉ एस. एल. खींचर सहायक प्रोफेसर व डॉ अमित कुमार सहायक प्रोफेसर आदि)द्वारा  लेक्चर्स उदयपुर मे आयोजित किए गए l साथ में संभाग स्तर के पशु चिकित्सालय मे प्रायोगिक एवं व्याख्यान के माध्यम से किसानों को भेड़ बकरी पालन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई  l किसानों के कौशल विकास हेतु अंतिम के दो दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम (26 से 27 जून, 2023) केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान में एग्री बिजनेस इनक्यूबेटर सेंटर  के माध्यम से  आयोजित करवाया गया है l प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित 43 प्रशिक्षणार्थियों से समापन के अवसर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में फीडबैक लिया गया l सभी ने रहने-खाने एवं प्रशिक्षण के माध्यम से अनेक जानकारियां प्राप्त करने के बारे में बताया l तथा प्रशिक्षण मे भाग लेने वाले प्रशिक्षणार्थियों ने संस्थान के उन्नत नस्ल के पशुओं एवं तकनीक  उपलब्ध कराने के लिए निदेशक से निवेदन किया गया दिनांक 27 जून शाम 5 बजे कार्यक्रम समापन के अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ अरुण कुमार तोमर ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि वर्तमान मे देश में बढ़ती भेड़-बकरी के मांस की मांग को देखते हुए भारत सरकार ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन द्वारा भेड़ -बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए 50% सब्सिडी के साथ इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है जिससे गांव के सभी वर्ग के महिलाओ ओर पुरुष किसान अपनी आजीविका कमा कर आर्थिक रूप से सक्षम हो सकें निदेशक डॉ अरुण कुमार तोमर ने सभी प्रशिक्षणार्थियों क़ो बताया कि शुरुआत में आप 20 से 25 जानवरों से भेड़ - बकरी पालन का व्यवसाय शुरू करें l और धीरे-धीरे सभी प्रबंधन एवं सावधानियों को समझते हुए पशुपालन उद्यमिता की और अपने व्यवसाय को ले जाएं l पशुपालन में सबसे महत्वपूर्ण पहलू  अच्छी नस्ल के भेड़-बकरी के पशुओं का चुनाव करना है, जिससे  उसका स्वास्थ्य प्रबंधन, चारा प्रबंधन, दाना प्रबंधन, टीकाकरण तथा अन्य विभिन्न मौसम आधारित प्रबंधन करके अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जा सके डॉ तोमर ने बताया कि उन्नत जर्मप्लाज्म का अपने फार्म पर बढ़ाकर अच्छे पशु के ब्रीडर केंद्र के रूप में  पहचान बनाकर आप  किसानों तक अच्छा गुणवत्ता  का पशु पहुंचा सकते हैं  l वर्तमान में व्यवसायिक ओर वैज्ञानिक भेड़-बकरी पालन सार्वजनिक चरागहो के अभाव में  स्टॉल फीडिंग विधि से किया जाने लगा है जिसमे  बाड़े पर ही जानवर का उचित पोषण प्रबंधन, चारा प्रबंधन, आवास प्रबंधन, स्वास्थ्य प्रबंधन एवं विभिन्न मौसम आधारित सावधानियों का ध्यान रखते हुए  अधिकतम उत्पादन लिया जा सकता है l डॉ. तोमर ने बताया कि मेरा पशु छोटा जरूर है लेकिन इनकी देश  के लोगों की दैनिक आवश्यकताओं की जरूरत को पूरा करने के लिए बहुत ही अच्छा पशु है l जो कम से कम संसाधनों में भी पलकर अपने मालिक को आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है डॉ तोमर ने उम्मीद जताई कि निश्चित ही आपने सात दिन में भेड़ और बकरी पालन के बारे में कुछ जानकारियां यहां से ग्रहण की होगी l वह आपके पहले से मौजूद ज्ञान में अगर इनको ओर शामिल कर लिया जाए, तो निश्चित ही आने वाले समय में आपका भेड़- बकरी के पालन में सुधार देखने को मिलेगा l

निदेशक ने सभी प्रशिक्षणार्थियों से निवेदन किया कि सात दिन में जो भी भेड़ बकरी पालन में आपने अच्छी जानकारी ग्रहण की है उसको अपने क्षेत्र में जाकर अन्य किसानों को भी लाभान्वित करें l तथा निदेशक ने निवेदन किया कि राष्ट्रीय पशुधन मिशन के द्वारा आप 5 से 10 के समूह मे भेड़-बकरी और खरगोश पालन के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा जारी सब्सिडी प्राप्त  कर छोटे स्तर पर 100 तक पशुओं का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं l तथा इससे अपने व्यवसाय को पशुपालन उद्यमिता की ओर ले जा सकते हैं l पशुपालन के क्षेत्र में आप उनके बाजार तक ले जाने के लिए आपको सहकारी संस्थाओं का निर्माण करें l जिससे पशु उत्पादन  से उपभोक्ता तक की सारी प्रक्रिया में आप स्वयं रहें और अपने उत्पादों की कीमतों का निर्धारण करने में आप स्वयं योगदान दें l ताकि इसका अधिकतम कमाई की जा सके  l पशु स्वास्थ्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जी. जी. सोनावाने ने बताया कि पशुओं के स्वास्थ्य प्रबंधन से अपने भेड़ बकरी के रेवड़ मे मृत्युदर को कम करके अतिरिक्त आमदनी कमाए l प्रशिक्षण समापन के अवसर पर सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्रों का वितरण कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों द्वारा किया गया l

प्रशिक्षण कार्यक्रम मे   पशु स्वास्थ्य विभाग के विभागअध्यक्ष डॉ जी जी सोनावाने, डॉ लीलाराम गुर्जर, डॉ सुरेश चन्द शर्मा, डॉ सत्यवीर सिंह डांगी,केड  फाउंडेशन उदयपुर  से नरेश विश्नोई, श्रीमती देबमिता गुप्ता एवं अन्य कॉन्ट्रैक्ट स्टॉफस आदि द्वारा भी प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान  पूरा  सहयोग किया गया l प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन में कार्यक्रम का संचालन सह -समन्वयक डॉ अमरसिंह मीना एवं धन्यवाद ज्ञापन  डॉ अरविन्द सोनी द्वारा दिया गया l अविकानगर संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं पीआरओ डॉ अमरसिंह मीना ने कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी l

 



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